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शनिवार, 26 जनवरी 2013

जैसा चित्र पट आज भारत मे दिखाया जा रहा है उसकी उत्पत्ति और उसके दुष्परिणाम पर एक नजर डालिये -


जिस भारत मे कभी श्रवण कुमार ,श्री राम जैसे युवाओ ने जन्म लिया अचानक उस भारत को क्या हो गया आतंकवादी हत्यारे और राक्षस इस देश मे पैदा होने लग गए ...........................
तो उसका कारण है युवाओ को दुष्प्रभवित करने वाली फिंल्मे जैसे की राजा हरिशचन्द्र का नाटक
देखकर कोई महात्मा बन जाता है वैसे ही कोई सनी लीओन को देखकर समूहिक बलात्कारी बन जाता है

कोई ज्ञानी जामवंत बनके युवा की शक्ति को जागृत कर उसे महान बलवान वीर हनुमान बना देता है तो कोई महेश भट्ट जैसा "टूच्छा व्यक्ति "अच्छे भले करोड़ो युवाओ को चोर और उचक्का और यौन हिंसक बना देता है ..............................

भारत मे देश भक्ति की फिल्मे बनाई जाये तो युवा अपने देश की रक्षा के लिए आगे आएगे  पर अगर भारत मे हर फिल्म ही यौन और कामुकता को बड़ाएगी तो फिर तो देश का सवा सत्यानाश हो जाएगा हमारा किसी भी फिल्म डाइरेक्टर या निर्माता से कोई निजी बैर नहीं है लेकिन वो भारत के युवाओ को पश्चिमी अज्ञान का आदि बनाएगे तो हम उनके सबसे बड़े विरोधी है और रहेगे ................................................................
जैसा चित्र पट आज भारत मे दिखाया जा रहा है उसकी उत्पत्ति और उसके दुष्परिणाम पर एक नजर डालिये ------------------------------नेशनल क्राइम विक्टिमाइजेशन सर्वे के अनुसार -------अमेरिका मे सन 2002 मे कुल 16,86,600,बड़े गुनाह हुए ।
जिसमे 10 लाख 36 हजार 400 गुनाह दर्ज किए गए ।

28हजार 797 खून ,

2 लाख 1 हजार 581 बलात्कार

6लाख 33 हजार 543 लुटपाट ,

12 लाख 38 हजार 288 गंभीर मारकाट ,

44 लाख 63 हजार 593 साधारण मारकाट ,
इस प्रकार कुल 65 ,65 ,805 हिंसक अपराध हुए ।

वर्ष 2002 मे अमेरिका मे ------- 12 से 17 वर्ष की उम्र के लड़को ने 2 लाख 78 हजार अपराध किए

18 वर्ष से बड़ी उम्र के लड़को ने 1 लाख 81 अपराध किए ।

अज्ञात उम्र के लोगो ने 1 लाख 93 अपराध किए ।

सन 2002 मे अमेरिका मे राष्ट्रिय व्यय 1548 अरब डॉलर अर्थात 69 हजार 660 अरब रुपये के बराबर ।
सन 2001 मेकिए गए सर्वे के अनुसार अमेरिका मे 51 %शादिया तलाक मे बदल जाती है ।


16सितंबर , 1977 के ‘न्यूयार्क टाइम्स मे छपा था था:
“अमेरिकन पेनल कहती है की अमेरिका में दो करोड़ से अधिक लोगों को मानिसक चिकित्सा की आवश्यकता है |

”-आँकड़े बताते है की आज पाश्चात्य देशों में यौन सदाचार की कितनी दुर्गति हुई है ! इस दुर्गति के परिणाम स्वरूप वहाँ के निवासियों के व्यक्तिगत जीवन में रोग इतने बढ़ गये है कि भारत से 10 गुनी ज्यादा दवाइयाँ अमेरीका में खर्च होती है जबिक भारत की आबादी अमेरिका से तीन गुनी ज्यादा है | मानिसक रोग इतने बढ़े है कि हर दस अमेरिकन में से एक को मानिसक रोग होता है | दुवार्सनाएँ इतनी बढ़ी है कि हर छः सेकण्ड में एक बलात्कार होता है और हर वर्ष लगभग 20 लाख कन्याएँ विवाह के पूर्व ही गभर्वती हो जाती है | मुक्त सहचर्य (free sex) का हिमायती होने के कारण शादी के पहले वहाँ का हर व्यक्ति शारीरिक संबंध बनाने लगता है | इसी वजह से लगभग 65% शादिया तलाक में बदल जाती है |मनुष्य के लिए प्रकृति द्वारा निर्धारित किए गये संयम का उपहास करने के कारण प्रकृति ने उन लोगों को जातीय रोगों का शिकार बना रखा है | उनमें मुख्यतः एड्स (AIDS) की बीमारी दिन दूनी रात चौगुनी फैलती जा रही है | वहाँ के पारिवारिक व सामाजिक जीवन में बोध, कलह, असंतोष, संताप, उच्चश्रखला उड़ंदता संताप ,शत्रुता का महा भयानक वातावरण छा गया है |विश्व कि  लगभग 4% जनसंख्या अमेरिका में है | उसके उपभोग के लिए विश्व की लगभग 40% साधन-साममी (जैसे कि कार, टी वी, वातानुकूलित मकान आदि ) मौजूद है फिर भी वहाँ अपराधवृत्ति इतनी बढ़ी है की हर 10 सेकण्ड में एक सेंधमारी होती है, हर लाख व्यक्तियों में से 425 व्यक्ति कारागार में सजा भोग रहे है

अब आप खुद सोचिए कि हम किस तरह का डेवलोपमेंट चाहते है सवा सत्यानाशी या भारतीय पद्धति से किया गया स्वदेशी और सर्वोदयी विकास जिसमे न प्रकृति का हास हो न प्रकृति हमसे रुष्ट हो
तो आइये "श्री राजीव दीक्षित जैविक संस्थान" के साथ मिलकर स्वर्णिम भारत की ओर

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