यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 9 दिसंबर 2012

जब ये बुराई से बाज़ नहीं आता तो मैं अच्छाई से क्यूँ बाज़ आऊं!!!

एक बार दयानंद स्वामी अपने कुछ
दोस्तों के साथ दरिया के किनारे बेठे थे,
उनकी नज़र एक बिच्छू पर पड़ी जो पानी में
डूब रहा था. दयानंद स्वामी ने उसे डूबने से
बचाने के लिए पकड़ा तो उसने डंक मार
दिया. कुछ देर बाद वो दोबारा पानी में
जा गिरा , इस बार फिर दयानंद
स्वामी उसे बचने के लिए आगे बढे, पर उसने
फिर डंक मार दिया . चार बार
ऐसा ही हुआ, तब एक दोस्त से रहा न
गया तो उसने पूछा दयानंद आपका ये काम
हमारी समझ के बाहर है, ये डंक मार रहा है
और आप इसे बचने से बाज़ नहीं आते. उन्होंने
बहुत तकलीफ में मुस्कुराते हुए कहा कि जब ये
बुराई से बाज़ नहीं आता तो मैं अच्छाई से
क्यूँ बाज़ आऊं!!!

मनुष्य का कर्म ही है की प्राणीयोँ के साथ प्रेम से रहे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya