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बुधवार, 26 जून 2013

यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है

बारिश की फुहारों से मिटटी के भीगते ही , गमलों में क्यारियों में एक पौधा अपनी आप उग आता है , जिसकी पत्तियां आंवले जैसी होती है. इन्ही पत्तियों के नीचे की ओर छोटे छोटे फुल आते है जो बाद में छोटे छोटे आंवलों में बदल जाते है . इसे भुई आंवला कहते है. इस पौधे को भूमि आंवला या भू धात्री भी कहा जाता है .यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है.इसका सम्पूर्ण भाग , जड़ समेत इस्तेमाल किया जा सकता है.
- कई बाज़ीगर भुई आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं .

- लीवर या यकृत की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है . लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा . बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पढ़े को जड़ों समेत उखाडकर , उसका काढ़ा सुबह शाम लें . सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी .
- अगर वर्ष में एक महीने भी इसका काढ़ा ले लिया जाए तो पूरे वर्ष लीवर की कोई समस्या ही नहीं होगी.
- हीपेटाईटिस -B और C के लिए यह रामबाण है . भुई आंवला +श्योनाक +पुनर्नवा ; इन तीनो को मिलाकर इनका रस लें . ताज़ा न मिले तो इनके पंचांग का काढ़ा लेते रहने से यह बीमारी बिलकुल ठीक हो जाती है .
- इसमें शरीर के विजातीय तत्वों को दूर करने की अद्भुत क्षमता है .
- मुंह में छाले हों तो इनके पत्तों का रस चबाकर निगल लें या बाहर निकाल दें .
- यह मसूढ़ों के लिए भी अच्छा है और मुंह पकने पर भी लाभ करता है .
- स्तन में सूजन या गाँठ हो तो इसके पत्तों का पेस्ट लगा लें पूरा आराम होगा .
- जलोदर या असाईटिस में लीवर की कार्य प्रणाली को ठीक करने के लिए 5 ग्राम भुई आंवला +1/2 ग्राम कुटकी +1 ग्राम सौंठ का काढ़ा सवेरे शाम लें .
- खांसी में इसके साथ तुलसी के पत्ते मिलाकर काढ़ा बनाकर लें .
- यह किडनी के इन्फेक्शन को भी खत्म करती है . इसका काढ़ा किडनी की सूजन भी खत्म करता है . प्रदर या प्रमेह की बीमारी भी इससे ठीक होती है .
- पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें . पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा . ये पाचन प्रणाली को भी अच्छा करता है .
- शुगर की बीमारी में घाव न भरते हों तो इसका पेस्ट पीसकर लगा दें . इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शुगर की बीमारी भी ठीक होती है .
- पस सेल्स बढने पर भी इसे लिया जा सकता है .
- खुजली होने पर इसके पत्तों का रस मलने से लाभ होता है . - पुराना बुखार हो और भूख कम लगती हो तो , इसके साथ मुलेठी और गिलोय मिलाकर ; काढ़ा बनाकर , लें .
- रक्त प्रदर की बीमारी होने पर इसके साथ दूब का रस मिलाकर 2-3 चम्मच प्रात: सायं लें. आँतों का इन्फेक्शन होने पर या अल्सर होने पर इसके साथ दूब को भी जड़ सहित उखाडकर , ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें . रक्त स्त्राव 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगा .
- इसका उपयोग घरेलू औषधीय के रूप में जैसे ऐपेटाइट, कब्ज. टाइफाइट, बुखार, ज्वर एवं सर्दी किया जाता है।
- पीलिया में इसकी पत्तियों के पेस्ट को छाछ के साथ मिलाकर दिया जाता है।
- वैकल्पिक रूप से इसके पेस्ट को बकरी के दूध के साथ मिलाकर भी दिया जाता है। पीलिया के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर भी इसकी पत्तियों को सीधे खाया जाता है।
- इसे मूत्र तथा जननांग विकारों के लिये उपयोग किया जाता है।
- प्लीहा एवं यकृत विकार के लिये इसकी जडों के रस को चावल के पानी के साथ लिया जाता है।
- इसे अम्लीयता, अल्सर, अपच, एवं दस्त में भी उपयोग किया जाता है।
- मलेरिया के बुखार में इसके संपूर्ण पौधे का पेस्ट तैयार करके छाछ के साथ देने पर आराम मिलता है।
- इसे बच्चों के पेट में कीडे़ होने पर देने से लाभ पहुँचाता है।
- इसकी पत्तियाँ शीतल होती है.
- इसकी पत्तियाँ गर्भाधान को प्रोत्सहित करती है।
- इसकी जड़ो एवं बीजों का पेस्ट तैयार करके चांवल के पानी के साथ देने पर महिलाओ में रजोनिवृत्ति के समय लाभ मिलता है।
- इसकी जडों का पेस्ट बच्चों में नींद लाने हेतु किया जाता है।
- इसकी पत्तियों का पेस्ट आंतरिक घावों सुजन एवं टूटी हड्डियो पर बाहरी रूप से लगाने में किया जाता है।
- एनीमिया, अस्थमा, ब्रोकइटिस, खांसी, पेचिश, सूजाक, हेपेटाइटिस, पिलिया एवं पेट में ट्यूमर होने की दशा में उपयोग किया जा सकता है।

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