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मंगलवार, 23 जुलाई 2013

ऐसी दैवीय शक्तियां जिन्हें विज्ञान भी नहीं समझ पाया!!

ऐसी दैवीय शक्तियां जिन्हें विज्ञान भी नहीं समझ पाया!!
ऐसी दैवीय शक्तियां जिन्हें विज्ञान भी नहीं समझ पाया!!
विज्ञान और चमत्कारों के बीच कोई ना कोई बहस आए दिन चलती रहती है. जिन चीजों को विज्ञान स्वीकारता है उसे चमत्कार का सिद्धांत नकार देता है और जिन्हें चमात्कार के सिद्धांत सिद्ध करते हैं विज्ञान उन्हें फिजूल करार दे देता है. लेकिन आज हम जिन स्थानों का जिक्रयहां करने जा रहे हैं उसे अगर चमत्कार नहीं कहा जा सकता तो विज्ञान के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है. यहां ऐसा क्यों होता है, आखिर क्या कारण है इन गतिविधियों का, अभी तक वैज्ञानिक भी इसका जवाब नहीं ढूंढ़ पाए हैं.
1. काला डुंगर: गुजरात की यह जगह बेहद रहस्यमयी है. इस सड़क पर जो ढलान है वहां गाड़ी नीचे उतरते हुए तो रफ्तार पकड़ती ही हैलेकिन अजीब बात यह है कि ऊपर चढ़ते हुए भी गाड़ी तेज गति से भागने लगती है. विशेषज्ञों ने यह जानने की कोशिश तो की कि ऐसा क्यों हो रहा है लेकिन कोई भी इसके पीछे का रहस्य नहीं समझ पाया.
2. तुलसीश्याम: गुजरात के गिर जंगल की तरफ जाने वाले मार्ग तुलसीश्याम की भी अजीब कहानी है. गुरुत्वाकर्षण के नियम को नकारती इस सड़क को गुजरात की एंटी ग्रैविटेशनल सड़क भी कहा जाता है. यहां कोई भी गाड़ी या वस्तु नीचे की तरफ नहीं बल्कि ऊपर की ओर चढ़ती है.
3. पहाड़ी का रहस्य: अमरेली स्थित बाबरा शहर से लगभग 7 किलोमीटर दूर करियाणा गांव में एक रहस्यमयी पहाड़ी है. इस पहाड़ी की खासियत यह है कि इस पहाड़ी के प्रत्येक पत्थर में से झालर के बजने जैसी आवाज आती है. इस पहाड़ी पर ग्रेनाइट के महंगे पत्थर काफी मात्रा में मिलते हैं. लेकिन अभी तक कोई भी यह पता नहीं लगा पाया कि इन पत्थरों से आवाज क्यों आती है.पत्थरों में से आने वाली आवाज के पीछे एक धार्मिक मान्यता भी विद्यमान है जिसके अनुसार प्राचीन समय में एक बार यहां स्वामीनारायण भगवान आए थे और पूजा अर्चना के समय इन पत्थरों को घंटी के रूप में प्रयोग किया गया.
4. ठोकर मारते ही नगाड़े बजने लगते हैं: जूनागढ़ (गुजरात) स्थित पवित्र गिरनार के समीप दातार पर्वत के नगरिया पत्थर यहां आने वाले श्रद्धालुओं का केन्द्र है. यहां के पत्थरों की खासियत यह है कि इन पत्थरों को ठोकर मारते ही इसमें से नगाड़े बजने की आवाज आने लगती है. दातार पर्वत गिरनार के दक्षिण में जूनागढ़ से मात्र 2 किमी की दूरी पर स्थित है.
5. टुवा टिंबा: यह स्थान भी गुजरात के गोधरा से लगभग 15 किलोमीटर दूर है. यहां गर्म पानी का एक कुंड है जिसका पानी कभी खत्म नहीं होता.इतना ही नहीं यह पानी सालभर एकदम गर्म रहता है. अब इसके गर्म रहने के पीछे क्या कारण है यह भी अभी तक कोई जान नहीं पाया. इस पानी से स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं की यात्रा सफल होती है. पौराणिक कथा के अनुसार पांडव और भगवान राम ने भी इस स्थल की यात्रा की थी. ऐसा भी माना जाता है कि संत सूरदास के उपचार हेतु गर्म पानी के लिए यह जमीन भगवान राम ने खुद भेदी थी जहां से गर्म पानी का प्रवाह शुरू हुआ.
विज्ञान और चमत्कारों के बीच कोई ना कोई बहस आए दिन चलती रहती है. जिन चीजों को विज्ञान स्वीकारता है उसे चमत्कार का सिद्धांत नकार देता है और जिन्हें चमात्कार के सिद्धांत सिद्ध करते हैं विज्ञान उन्हें फिजूल करार दे देता है. लेकिन आज हम जिन स्थानों का जिक्रयहां करने जा रहे हैं उसे अगर चमत्कार नहीं कहा जा सकता तो विज्ञान के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है. यहां ऐसा क्यों होता है, आखिर क्या कारण है इन गतिविधियों का, अभी तक वैज्ञानिक भी इसका जवाब नहीं ढूंढ़ पाए हैं.
1. काला डुंगर: गुजरात की यह जगह बेहद रहस्यमयी है. इस सड़क पर जो ढलान है वहां गाड़ी नीचे उतरते हुए तो रफ्तार पकड़ती ही हैलेकिन अजीब बात यह है कि ऊपर चढ़ते हुए भी गाड़ी तेज गति से भागने लगती है. विशेषज्ञों ने यह जानने की कोशिश तो की कि ऐसा क्यों हो रहा है लेकिन कोई भी इसके पीछे का रहस्य नहीं समझ पाया.
2. तुलसीश्याम: गुजरात के गिर जंगल की तरफ जाने वाले मार्ग तुलसीश्याम की भी अजीब कहानी है. गुरुत्वाकर्षण के नियम को नकारती इस सड़क को गुजरात की एंटी ग्रैविटेशनल सड़क भी कहा जाता है. यहां कोई भी गाड़ी या वस्तु नीचे की तरफ नहीं बल्कि ऊपर की ओर चढ़ती है.
3. पहाड़ी का रहस्य: अमरेली स्थित बाबरा शहर से लगभग 7 किलोमीटर दूर करियाणा गांव में एक रहस्यमयी पहाड़ी है. इस पहाड़ी की खासियत यह है कि इस पहाड़ी के प्रत्येक पत्थर में से झालर के बजने जैसी आवाज आती है. इस पहाड़ी पर ग्रेनाइट के महंगे पत्थर काफी मात्रा में मिलते हैं. लेकिन अभी तक कोई भी यह पता नहीं लगा पाया कि इन पत्थरों से आवाज क्यों आती है.पत्थरों में से आने वाली आवाज के पीछे एक धार्मिक मान्यता भी विद्यमान है जिसके अनुसार प्राचीन समय में एक बार यहां स्वामीनारायण भगवान आए थे और पूजा अर्चना के समय इन पत्थरों को घंटी के रूप में प्रयोग किया गया.
4. ठोकर मारते ही नगाड़े बजने लगते हैं: जूनागढ़ (गुजरात) स्थित पवित्र गिरनार के समीप दातार पर्वत के नगरिया पत्थर यहां आने वाले श्रद्धालुओं का केन्द्र है. यहां के पत्थरों की खासियत यह है कि इन पत्थरों को ठोकर मारते ही इसमें से नगाड़े बजने की आवाज आने लगती है. दातार पर्वत गिरनार के दक्षिण में जूनागढ़ से मात्र 2 किमी की दूरी पर स्थित है.
5. टुवा टिंबा: यह स्थान भी गुजरात के गोधरा से लगभग 15 किलोमीटर दूर है. यहां गर्म पानी का एक कुंड है जिसका पानी कभी खत्म नहीं होता.इतना ही नहीं यह पानी सालभर एकदम गर्म रहता है. अब इसके गर्म रहने के पीछे क्या कारण है यह भी अभी तक कोई जान नहीं पाया. इस पानी से स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं की यात्रा सफल होती है. पौराणिक कथा के अनुसार पांडव और भगवान राम ने भी इस स्थल की यात्रा की थी. ऐसा भी माना जाता है कि संत सूरदास के उपचार हेतु गर्म पानी के लिए यह जमीन भगवान राम ने खुद भेदी थी जहां से गर्म पानी का प्रवाह शुरू हुआ.

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