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मंगलवार, 29 जनवरी 2013

दैनिक उपयोग की वस्तुओं में पशु चर्बी और अन्य पशु अवयवों की मिलावट का गोरखधंधा::

शाकाहारी हो जाएं सावधान, दैनिक उपयोग की वस्तुओं में पशु चर्बी और अन्य पशु अवयवों की मिलावट का गोरखधंधा::

 
 बेईमान लोगों ने आज अपनी सारी सीमाएं लांघ दी हैं सामाजिक जीवन में हिंसा और मांसाहार का बोलबाला है. जो शाकाहारी हैं उनको जाने-अनजाने मांसाहार करने को मजबूर किया जा रहा है. दैनिक उपयोग की वस्तुओं में पशु चर्बी और अन्य पशु अवयवों की मिलावट का गोरखधंधा बिना रोकटोक के जारी है और आम आदमी असहाय सा खड़ा दूसरों को ताक रहा है और सोच रहा है कि कोई तो आएगा जो इस षड्यंत्र को रोकेगा.

जीवन की भागदौड़ में लोग इतने उलझे हैं कि उन्हें इस सब के बारे में सोचने की फुर्सत ही नहीं है. यदि आप ऐसे लोगों को बताएँ कि अमुक वस्तु में किसी जानवर की चर्बी,खून या अन्य कोई पशु अंग मिलाया गया है या जानवर या किसी निरीह पक्षी को मारकर या कठोर पीड़ा देकर फलां सौंदर्य प्रसाधन (कोस्मैटिक ) बनाया गया है तो उनके जवाब मन को बड़ी पीड़ा पहुँचाने वाले होते हैं :

‘हम क्या कर सकते हैं? ‘

‘मेक-अप के लिए अहिंसक सामग्री मिलती कहाँ है?’

‘हमारे पास ये सब देखने का समय नहीं कि किस डिब्बाबंद सामान में क्या(ingredients of items )मिलाया गया है?’

‘क्या हम खाना-पीना छोड़ दें?’

भारत में खाद्य-सामग्री पर हरा वृत्त ‘ग्रीन सर्कल’ (शाकाहार के लिए )/ कत्थई वृत्त ‘ब्राउन सर्कल’ (मांसाहार के लिए ) निशान लगाने का क़ानूनी नियम है ताकि ग्राहक को पता चल सके कि अमुक आइटम शाकाहारी है या मांसाहारी.

पर इस क़ानूनी नियम का भी दुरूपयोग किया जा रहा है, बड़ी-बड़ी और नामी कम्पनियाँ भी इसमें शामिल हैं, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई कदम उठाया गया हो, ऐसा सुनने-पढ़ने में नहीं आया, जबकि अक्सर समाचार-पत्रों, टी.वी में पढ़ने-सुनने में आता रहता है कि चोकलेट -बिस्किट-चिप्स-वेफर्स आदि में पशु चर्बी-अंग आदि मिलाये जाते हैं और हम शाकाहारी हरा निशान देखकर ऐसे डिब्बाबंद खाद्यपदार्थ उपयोग में ले लेते हैं जबकि ई-नम्बर्स (ये संख्याएँ यूरोप में डिब्बाबंद खाद्य-सामग्री (पैक्ड फ़ूड आइटम्स)के अवयव (घटक पदार्थ) दर्शाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं) की छानबीन की जाए तो पता चलता है कि फलां आइटम तो मांसाहारी है.

यह तो एक तरह का षड्यंत्र है, धोखा है, उपभोक्ता की धार्मिक भावनाओं का मखौल उड़ाने जैसा है. जो कम्पनियाँ और व्यक्ति ऐसा कर रहे हैं उनके विरुद्ध सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए और शाकाहार-अहिंसा में विश्वास रखने वाली भारत की आम जनता को ऐसी कंपनियों का पूर्ण बहिष्कार कर देना चाहिए.

हम अनुरोध करते हैं कि आप जब भी कुछ खरीदे , उसके घटक (ingredients) अवश्य जांच लें, संदेह हो तो कंपनी को उसके कस्टमर-केयर पे संपर्क करें, इंटरनेट पर खोजबीन कर लें. जब आप संतुष्ट हो जाएं कि अमुक पदार्थ पूर्ण रूप से शाकाहारी है तथा इसमें किसी पशु-पक्षी को मारा नहीं गया है तब ही ऐसे उत्पादों को खरीदें.कई चीजों में ऐसे सब मिलाया जा रहा है ऒर हमें पता नही है कि हम क्या खा रहे हैं जैसे मैगी ऒर lays chips में भी E-631 पाया ग्या है

यदि कोई कम्पनी हरे निशान का गलत इस्तेमाल करती है तो उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करें, अब चुप बैठने का समय नहीं है. हम चुप रहे तो कम्पनियां इसी तरह हमारी धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करती रहेंगी.


निम्नलिखित ई-नम्बर्स सूअर की चर्बी (Pig Fat )को दर्शाते हैं: आप चाहे तो google पर देख सकते है इन सब नम्बर्स को:-

E100, E110, E120, E 140, E141, E153, E210, E213, E214, E216, E234, E252,E270, E280, E325, E326, E327, E334, E335, E336, E337, E422, E430, E431, E432, E433, E434, E435, E436, E440, E470, E471, E472, E473, E474, E475,E476, E477, E478, E481, E482, E483, E491, E492, E493, E494, E495, E542,E570, E572, E631, E635, E904.


सूअर/पशुओं की चर्बी/ हड्डियों का चूर्ण (पाउडर) अन्य कई दैनिक उपयोग की सामग्री के साथ-२ इन उत्पादों में भी इस्तेमाल किया जाता है:-

टूथ पेस्ट ,

शेविंग क्रीम,

चुइंगम ,

चोकलेट,

मिठाइयाँ ,

बिस्किट्स ,

कोर्न फ्लेक्स,

केक्स,

पेस्ट्री,

कैन/टीन के डिब्बों में आने वाले खादपदार्थ

फ्रूट टिन,

साबुन.

मैगी,

कुरकुरे,
राजीव दीक्षित Rajiv Dixit

सोमवार, 28 जनवरी 2013

उलटे हनुमान का मंदिर

उलटे हनुमान का मंदिर



भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से केवल 30 किमी दूर स्थित है यह धार्मिक स्थान जहाँ भगवान हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा की जाती है. यह मंदिर साँवरे नामक स्थान पर स्थापित है इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं. मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है.

सांवेर का हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान है यहाँ आकर भक्त भगवान के अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं. यह स्थान ऐसे भक्त का रूप है जो भक्त से भक्ति योग्य हो गया .

उलटे हनुमान कथा

भगवान हनुमान के सभी मंदिरों में से अलग यह मंदिर अपनी विशेषता के कारण ही सभी का ध्यान अपनी ओर खींचता है. साँवेर के हनुमान जी के विषय में एक कथा बहुत लोकप्रिय है. कहा जाता है कि जब रामायण काल में भगवान श्री राम व रावण का युद्ध हो रहा था, तब अहिरावण ने एक चाल चली. उसने रूप बदल कर अपने को राम की सेना में शामिल कर लिया और जब रात्रि समय सभी लोग सो रहे थे,तब अहिरावण ने अपनी जादुई शक्ति से श्री राम एवं लक्ष्मण जी को मूर्छित कर उनका अपहरण कर लिया .

वह उन्हें अपने साथ पाताल लोक में ले जाता है. जब वानर सेना को इस बात का पता चलता है तो चारों ओर हडकंप मच जाता है. सभी इस बात से विचलित हो जाते हैं. इस पर हनुमान जी भगवान राम व लक्ष्मण जी की खोज में पाताल लोक पहुँच जाते हैं और वहां पर अहिरावण से युद्ध करके उसका वध कर देते हैं तथा श्री राम एवं लक्ष्मण जी के प्राँणों की रक्षा करते हैं. उन्हें पाताल से निकाल कर सुरक्षित बाहर ले आते हैं. मान्यता है की यही वह स्थान था जहाँ से हनुमान जी पाताल लोक की और गए थे. उस समय हनुमान जी के पाँव आकाश की ओर तथा सर धरती की ओर था जिस कारण उनके उल्टे रूप की पूजा की जाती है.

उलटे हनुमान मंदिर की मान्यता

इस ऐतिहासिक धार्मिक स्थल के विषय में बहुत सी अन्य दंत कथाएं भी प्रचलित है जो इसकी मान्यता को और भी बढा देती हैं जिस कारण उलटे हनुमान का यह मंदिर क्षेत्र में विख्यात है तथा एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर भी है. इस जैसी प्रतिमा और कहीँ नहीँ मिलती. भगवान हनुमान जी का यह मंदिर आस्थाओं व विश्वास का अनुठा संगम है.

साँवेर के उलटे हनुमान मंदिर में एक मुख्य मान्यता यह है कि यदि कोई व्यक्ति तीन मंगलवार या पाँच मंगलवारों तक इस मन्दिर के दर्शनों के लिए लगातार आता है तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है. मंगलवार को हनुमानजी को चोला भी चढ़ाया जाता है।

उलटे हनुमान मंदिर का महत्व

उलटे हनुमान मंदिर के दर्शन मात्र से ही सभी समस्याएं दूर हो जाती है. यहां भक्तों की आस्था का सैलाब उमड़ता दिखाई पड़ता है. मंदिर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मणजी, शिव-पार्वती जी की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं. मंदिर में स्थित हनुमान जी की प्रतिमा को अत्यंत चमत्कारी माना जाता है. इसके साथ ही उलटे हनुमान मंदिर में वर्षों पुराने दो पारिजात के वृक्ष हैं भी हैं.

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